भारतीय प्रशासनिक सेवा के रिटायर्ड अधिकारी जियालाल आर्य की जीतनी चर्चा उनके प्रशासनिक क्षमता और निर्नाति के लिए होती है, उससे ज्यादा चर्चा उनकी साहित्य साधना के लिए होती है। बिहार सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए भी लगातार सृजन कर्म में सक्रिय रहे। यही कारण है की उनकी छवि साहित्य की दुनिया में भी चर्चित रही। उन्होंने साहितिक सक्रियता की शुरुआत दानापुर में परिचय गोष्ठी से की थी। इसके बाद साहित्य जगत में उनका विस्तार होता गया वे कई साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामजिक संस्थाओं के संरक्षक व न्यासी भी हैं।
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पोस्ट : बिरेन्द्र यादव
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