सोमवार, 7 सितंबर 2009
प्रभाष जोशी का जाति प्रेम
प्रख्यात पत्रकार प्रभाष जोशी का ब्रह्मण प्रेम सर चढ़ कर बोल रहा है। फिलहाल वे जातीय अहम् से लवरेज हैं। खबरों के धंधा से आगे बढ़ कर वे ब्राह्मणों के धंधा तक उत्तर आए हैं। प्रमोद रंजन की पुस्तक और जनसत्ता में प्रकाशित उनके आलेख पर प्रभाष जोशी जी आग बबूला हैं। खैर उनकी नाराजगी का कई कारन भी हो सकता है। ब्राह्मणों के कुक्रितियों पर कई ब्राह्मण टिपण्णी करे तो उसे स्वस्तः बहस की संज्ञा दी जाती है, लेकिन कई गैराब्राह्मन टिप्पणी करे तो उन्हें अस्तित्व पर हमला लगता है। प्रमोद रंजन के साथ भी यही हुआ है।
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