रविवार, 25 अक्टूबर 2009
सडकों पर पसरा सन्नाटा
chhath ko लेकर सडकों पर सन्नाटा पसरा रहा। उगते सूर्य के अर्घ देने के बाद सुबह प्रसाद खाने का दौर शुरू हुआ। यह सिलसिला दोपहर तक चला। करीब १० बजे के बाद ही सडकों पर सन्नाटा पसारने लगा था। सन्नाटा शाम ५ बजे तक छाया रहा । इसके बाद सडकों पर भीड़ बढ़ी पर बाज़ारों में रौनक नहीं लौट पाया।
अब सड़क पर संघर्घ करेंगे पासवान
पटना : केंद्र की सत्ता से दूर होने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान ने सरकारी नीतियों के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है.सोमवार को श्री पासवान सफाईकर्मियों को नियमित वेतन पर बहाल करने ओद की मांगों को लेकर आर ब्लॉक चौराहा पर धरना देंगे. लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के चंद दिनों बाद से ही श्री पासवान का राज्यभर में प्रमंडलीयवार दौरा निर्धारित हुआ. दी थी गिरफ्तारीइस दौरान पिछले तीन माह के अंदर वे सोमवार को तीसरी बार पटना में सड़क पर उतरेंगे. इसके पहले 25 जून को मुसहर आयोग, सफाईकर्मी आयोग व अनुसूचित जाति आयोग बनाने व महादलित आयोग की अनुशंसाओं को सार्वजनिक करने ओद की मांगों को लेकर आर ब्लॉक चौराहा पर वे धरना पर बैठे थे. उक्त मांगों को लेकर व गरीब विरोधी सरकारी नीतियों के खिलाफ श्री पासवान 27 जुलाई को प्रदर्शन करने उतरे और सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ अपनी गिरफ्तारी भी दी. सरकार के खिलाफ लगातार उनके द्वारा चलाये गये इस अभियान का फायदा भी लोजपा को मिला. लगातार दो चुनावों में पार्टी को शानदार जीत हासिल हुई. फूंका मुख्यमंत्री का पुतलाखगड़िया नरसंहार के खिलाफ लोजपा की महानगर इकाई ने रविवार को कारगिल चौक पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला फूंका. महानगर अध्यक्ष कमाल परवेज ने कहा कि खगड़िया जिले की दो बड़ी घटनाओं में मुख्यमंत्री का नहीं जाना दुखद है. उधर, पार्टी अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रांतीय पदाधिकारियों व जिलाध्यक्षों की बैठक बच्चू प्रसाद वीरू की अध्यक्षता में हुई. पार्टी के प्रदेश महासचिव केशव सिंह ने नरसंहार के लिए खगड़िया के एसपी व डीएसपी के निलंबन को सही ठहराते हुए मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की है.
नागालैंड की समस्यों का समाधान होगा: निखिल
गया: नागालैंड के राज्यपाल निखिल कुमार ने कहा है कि देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित यह राज्य कई समस्याओं से ग्रस्त है, लेकिन इनसे निपटने के लिए सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
कुमार ने रविवार को यहां भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोध गया में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि नागालैंड पिछले कई वर्षों से अल्पकालीन और दीर्घकालीन समस्याओं से जूझ रहा है, लेकिन आज तक उनका समुचित समाधान नही हो सका है।
उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के निदान के लिए वहां के राज्य सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। राज्यपाल ने कहा कि केन्द्र सरकार ने उन्हें नागालैंड के राज्यपाल पद की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी सौंपी है, जो काफी अहम है।
कुमार ने कहा कि नगालैंड के राज्यपाल को संविधान की धारा 171-ए के तहत अन्य राज्यपालों के मुकाबले अधिक संवैधानिक अधिकार दिए गए हैं, जिससे वहां की समस्याओं से निजात पाने में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि नगालैंड में शांति और विकास उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है और इन पर चलकर नागालैंड को देश का सबसे विकसित राज्य बनाया जा सकता है। उन्होंने बिहार से अपने संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि बिहार खासकर मगध से उनका अटूट रिश्ता रहा है, जो कभी नहीं टूटेगा।
कुमार ने रविवार को यहां भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोध गया में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि नागालैंड पिछले कई वर्षों से अल्पकालीन और दीर्घकालीन समस्याओं से जूझ रहा है, लेकिन आज तक उनका समुचित समाधान नही हो सका है।
उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के निदान के लिए वहां के राज्य सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। राज्यपाल ने कहा कि केन्द्र सरकार ने उन्हें नागालैंड के राज्यपाल पद की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी सौंपी है, जो काफी अहम है।
कुमार ने कहा कि नगालैंड के राज्यपाल को संविधान की धारा 171-ए के तहत अन्य राज्यपालों के मुकाबले अधिक संवैधानिक अधिकार दिए गए हैं, जिससे वहां की समस्याओं से निजात पाने में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि नगालैंड में शांति और विकास उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है और इन पर चलकर नागालैंड को देश का सबसे विकसित राज्य बनाया जा सकता है। उन्होंने बिहार से अपने संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि बिहार खासकर मगध से उनका अटूट रिश्ता रहा है, जो कभी नहीं टूटेगा।
vratiyon ने दिया argha
पटना। सूर्य उपासना और छठी मैया की पूजा के लिए चार दिनों तक चलने वाले महापर्व छठ के तीसरे दिन आज बिहार की राजधानी पटना सहित राज्य के अन्य भागों में नदी और तालाबों के किनारे विभिन्न घाटों पर व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सहित अपने मंत्रिमंडल के अन्य सहयोगियों के साथ पर्यटन विभाग की एक बडी मोटर बोट के जरिए पटना में गंगा नदी के किनारे विभिन्न घाटों का भ्रमण किया।
घाटों के भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने खडे़ होकर व्रतियों और उनके परिजनों को हाथ हिलाकर उन्हें छठ पर्व की बधाई दी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना में गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण एक खास स्थिति पैदा हुई थी और गत 18 अक्तूबर को घाटों के निरीक्षण के दौरान स्थिति देखते हुए छठ व्रतियों की सुविधा के लिए और उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ निर्णय लिए गए और कम समय में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा सारी व्यवस्था की गई जिसके कारण आज घाटों पर व्रती इतमेनान और बिना भय के अर्घ्य दे रहे हैं।
छठ पर्व के अवसर पर व्रतियों की सुविधा के लिए पटना के विभिन्न घाटों पर तक विभिन्न पूजा समितियों द्वारा की गई व्यवस्था की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इन पूजा समितियों को उनके अच्छे कार्य के लिए सम्मान स्वरूप राज्य सरकार द्वारा प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सहित अपने मंत्रिमंडल के अन्य सहयोगियों के साथ पर्यटन विभाग की एक बडी मोटर बोट के जरिए पटना में गंगा नदी के किनारे विभिन्न घाटों का भ्रमण किया।
घाटों के भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने खडे़ होकर व्रतियों और उनके परिजनों को हाथ हिलाकर उन्हें छठ पर्व की बधाई दी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना में गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण एक खास स्थिति पैदा हुई थी और गत 18 अक्तूबर को घाटों के निरीक्षण के दौरान स्थिति देखते हुए छठ व्रतियों की सुविधा के लिए और उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ निर्णय लिए गए और कम समय में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा सारी व्यवस्था की गई जिसके कारण आज घाटों पर व्रती इतमेनान और बिना भय के अर्घ्य दे रहे हैं।
छठ पर्व के अवसर पर व्रतियों की सुविधा के लिए पटना के विभिन्न घाटों पर तक विभिन्न पूजा समितियों द्वारा की गई व्यवस्था की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इन पूजा समितियों को उनके अच्छे कार्य के लिए सम्मान स्वरूप राज्य सरकार द्वारा प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा।
शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2009
बुधवार, 21 अक्टूबर 2009
जदयू के तीन सांसदों की सदस्यता खतरे में
जनता दल यु ने विधान सभा उप चुनाव में बगावत करने वाले ३ सांसदों को पार्टी से निलंबित कर दिया है। निलंबित होने वाले सांसदों लोक सभा सदस्य जगदीश शर्मा और पूर्णमासी राम तथा राज्य सभा सदस्य एजाज अली हैं। इन पर विधान सभा उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवारों की खिलाफ काम करने का आरोप है। उपचुनाव में जगदीश शर्मा की पत्नी शांति शर्मा घोसी से, पूर्णमासी राम के पुत्र विजय राम बगहा से चुनाव मैदान में थे और दोनों सीटों पर जदयू की हार हुई थी। जबकि एजाज अली पर पार्टी उमीदवारों की खिलाफ kaam करने का आरोप है। उन पर पार्टी निति के खिलाफ भी kaam करने का आरोप है। इन सांसदों के निलंबन का निर्देश जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने दिए।
अब सवाल यह है की क्या इनकी सदस्यता बरकरार रहेगी। पिछले विधान सभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी काम करने के आरोप में भाजपा सांसद जयनारायण निषाद की राज्य सभा सदस्यता समाप्त कर दी गयी थी। तो क्या जदयू सांसदों का भी यही हाल होगा। इस तरह की किसी भी करवाई के liये पार्टी को लोक सभा अध्यक्ष को पत्र लिखना होगा, जिसमे उनके पार्टी विरोधी कार्यों के साक्ष्य देना होगा। स्पीकर इस मामले की सुनवाई भी करेंगी, जिसमे आरोपितों को अपनपक्ष रखने का मौका मिलेगा। इसके बाद ही सदस्यता को लेकर कोई अंतिम निर्णय लिया जा सकेगा। हालाँकि यह मामला पेचीदा हो गया है। और इस मुद्दे पर लम्बी कानूनी लडाई भी लड़ी जा सकती है।
अब सवाल यह है की क्या इनकी सदस्यता बरकरार रहेगी। पिछले विधान सभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी काम करने के आरोप में भाजपा सांसद जयनारायण निषाद की राज्य सभा सदस्यता समाप्त कर दी गयी थी। तो क्या जदयू सांसदों का भी यही हाल होगा। इस तरह की किसी भी करवाई के liये पार्टी को लोक सभा अध्यक्ष को पत्र लिखना होगा, जिसमे उनके पार्टी विरोधी कार्यों के साक्ष्य देना होगा। स्पीकर इस मामले की सुनवाई भी करेंगी, जिसमे आरोपितों को अपनपक्ष रखने का मौका मिलेगा। इसके बाद ही सदस्यता को लेकर कोई अंतिम निर्णय लिया जा सकेगा। हालाँकि यह मामला पेचीदा हो गया है। और इस मुद्दे पर लम्बी कानूनी लडाई भी लड़ी जा सकती है।
शिवानन्द तिवारी का दर्द
जदयू सांसद शिवानन्द तिवारी का दर्द किसी से छुपा नहीं है। वे छुपाते भी नहीं हैं। साफ-साफ बोलने में विश्वाश करते हैं। उन्होंने पटना में दैनिक हिंदुस्तान द्वारा आयोजित समागम में स्वीकार किया कि sअवर्ण जातियों की राजनीति में हालत बुरी हो गयी है। वे राजनीति की पहली लाइन से बाहर हो गए हैं। उनके ही शब्दों में- हम नीतिश की ढोल बजाये या लालू की या किसी और की। बजाना ढोल ही है।
यह दर्द अकेले शिवानन्द तिवारी की नहीं है। इससे सारा सवर्ण जात पीड़ित है। संख्या बल में कम होने और लोकतंत्र की जड़ मजबूत होने के साथ सवर्ण सत्ता की राजनीति में कमजोर होते गए। पिछड़ी जातियों के साथ गढजोड़ उनकी मजबूरी हो गयी। भाजपा का जदयू के साथ गठबंधन इसी का नतीजा है। जेपी आन्दोलन के महत्वपूर्ण नेता रहे शिवानन्द तिवारी को आन्दोलन के करीब २० साल बाद विधान सभा में जाने का मौका मिला।
यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि शिवानन्द तिवारी ने १९७७ के विधान सभा चुनाव में जनता पार्टी का टिकट लौटा दिया था कि जिस वन्सवाद के खिलाफ हम लड़ते रहे हैं , उसको बढ़ावा नहीं देंगे। उल्लेख्निये है कि उस समय उनके पिता रामानंद तिवारी सांसद थे।
शिवानन्द तिवारी एक मात्र नेता हैं, जिनका नीतिश कुमार और लालू यादव दोनों के दरबार मजबूत पकड़ रही है। अपनी वाक्पटुता के लिए भी वे जाने जाते रहे हैं। लालू यादवने उन्हें राज्य सभा में नहीं भेजा तो वे नीतिश का ढोल बजाने लगे और नीतिश ने ढोल बजाने के लिए राज्य सभा में भेज दिया।
एक बार लालू चालीसा लिखने वाले को लालू यादव ने राज्य सभा में भेज दिया था तो नीतिश ने ढोल बजाने वाले को राज्य सभा में भेज दिए।
इससे इत्तर देखे तो शिवानन्द तिवारी की पीडा बदल रहे सामाजिक ढांचे को लेकर भी है समाजवाद की राजनीति करते-करते वे कब brahmanvad और सवर्णवाद की राजनीति करने लगे, ये बात उनके करीबी लोगों को भी समझ में नहीं आयी। उनके बदलाव को लेकर हम मुखालफत करते रहें हैंसवर्णवाद की राजनीति में कामयाब हो , यही कामना है।
यह दर्द अकेले शिवानन्द तिवारी की नहीं है। इससे सारा सवर्ण जात पीड़ित है। संख्या बल में कम होने और लोकतंत्र की जड़ मजबूत होने के साथ सवर्ण सत्ता की राजनीति में कमजोर होते गए। पिछड़ी जातियों के साथ गढजोड़ उनकी मजबूरी हो गयी। भाजपा का जदयू के साथ गठबंधन इसी का नतीजा है। जेपी आन्दोलन के महत्वपूर्ण नेता रहे शिवानन्द तिवारी को आन्दोलन के करीब २० साल बाद विधान सभा में जाने का मौका मिला।
यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि शिवानन्द तिवारी ने १९७७ के विधान सभा चुनाव में जनता पार्टी का टिकट लौटा दिया था कि जिस वन्सवाद के खिलाफ हम लड़ते रहे हैं , उसको बढ़ावा नहीं देंगे। उल्लेख्निये है कि उस समय उनके पिता रामानंद तिवारी सांसद थे।
शिवानन्द तिवारी एक मात्र नेता हैं, जिनका नीतिश कुमार और लालू यादव दोनों के दरबार मजबूत पकड़ रही है। अपनी वाक्पटुता के लिए भी वे जाने जाते रहे हैं। लालू यादवने उन्हें राज्य सभा में नहीं भेजा तो वे नीतिश का ढोल बजाने लगे और नीतिश ने ढोल बजाने के लिए राज्य सभा में भेज दिया।
एक बार लालू चालीसा लिखने वाले को लालू यादव ने राज्य सभा में भेज दिया था तो नीतिश ने ढोल बजाने वाले को राज्य सभा में भेज दिए।
इससे इत्तर देखे तो शिवानन्द तिवारी की पीडा बदल रहे सामाजिक ढांचे को लेकर भी है समाजवाद की राजनीति करते-करते वे कब brahmanvad और सवर्णवाद की राजनीति करने लगे, ये बात उनके करीबी लोगों को भी समझ में नहीं आयी। उनके बदलाव को लेकर हम मुखालफत करते रहें हैंसवर्णवाद की राजनीति में कामयाब हो , यही कामना है।
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